भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की कक्षा बदलने की चौथी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक्स (पहले ट्विटर) पर इसकी जानकारी शेयर की। इसरो ने बताया कि चौथी बार कक्षा बदलने की प्रक्रिया के लिए थ्रस्टर फायर किए गए। इसरो ने कहा कि इससे पहले 3, 5 और 10 सितंबर को सफलतापूर्वक कक्षा बदलने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। आइए जानते हैं कि अब आगे क्या होगा?

सौर मिशन आदित्य-एल1 को लेकर इसरो ने देर रात 14 सितंबर को अपडेट दिया। इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 की कक्षा बदलने की चौथी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इस ऑपरेशन के दौरान मॉरीशस, बंगलूरू और पोर्ट ब्लेयर स्थित इसरो के ग्राउंड स्टेशनों से मिशन की प्रक्रिया को ट्रैक किया गया। बता दें कि इससे पहले आदित्य एल-1 ने 10 सितंबर को तीसरी बार अपनी कक्षा बदली थी। कक्षा बदलने के साथ ही सौर मिशन सूर्य के और अधिक नजदीक पहुंचते जा रहा है। ऑपरेशनों का सपोर्ट करने के लिए एक परिवहनीय योग्य टर्मिनल मौजूदा वक्त में फिजी में तैनात है। इसके बाद आदित्य एल1 को 256 किमी x 121973 किमी की नई ऑर्बिट हासिल हो गई है।

इसरो की ओर से जानकारी दी गई कि आदित्य एल1 की ऑर्बिट बढ़ाने की अगली कार्रवाई 19 सितंबर को लगभग 2 बजे तय है। इसके बाद आदित्य एल1 की ट्रांस-लैग्रेजियन पॉइंट 1 की ओर पृथ्वी से विदाई हो जाएगी। लैग्रेंजियन पॉइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर स्थित है। आपको बता दें कि इससे पहले आदित्य एल-1 ने पृथ्वी और चंद्रमा के साथ एक खास तस्वीर क्लिक की थी, जिसे इसरो ने शेयर किया था।

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